रविवार, 15 जनवरी 2012

पदचिह्न..कोशिश का....


कुछ लोग मिले ....
सुख दिए 
बँटाये भी
कुछ दुःख भी 
पर बँटाये नहीं;
अच्छे लोग थे 
मैं भी ऐसा ही करता हूँ
यही नियति है l 
नि:स्तब्धता, नीरवता,अकेलापन
मेरे चिर-परिचित साथी
विश्वास है,ये मुझे कभी
धोखा नहीं देंगे
यह हताशा नहीं है
यही सत्य है
असफलता
कोई दोष नहीं है...
बस पदचिह्न है 
एक कोशिश का....

4 टिप्‍पणियां:

  1. बस कोशिश है अच्छी कोशिश जारी रखिये .......

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    1. सुनील जी यह कोशिश पन्द्रह वर्ष पुरानी है जो अभी भी जारी है..... शुक्रिया

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  2. विश्वास शाश्वत है ....बनाए रखना जितना आवश्यक है उतना ही कठिन है अपने विश्वास पर विश्वास बनाए रखना !

    जय हो !

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