महाभुजंगप्रयात सवैया छंद
नशा सा हुआ है तुझे देखके यूँ,
सुरापान जैसे कि मैंने किया है।
बुरा काम तूने किया है सुनैना,
ख़ुदारा हमारा चुराया जिया है।
मुझे प्यार से देख लो आज भी तो,
खड़ा सामने ये तुम्हारा पिया है।
ख़ुदा की रही ख़ूब "निर्दोष" मर्ज़ी,
वफ़ा का दिलों में जलाया दिया है।
- निर्दोष दीक्षित
खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अशोक जी।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8-01-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1852 में दिया गया है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद