रविवार, 29 सितंबर 2013

मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....

डगर डगर तम नगर नगर

घर घर, दर दर आडम्बर

कर कृपाण अब धारण कर

युग रचो नया, नव संवत्सर

मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....



कुल काक कंठ, कुल कोकिल स्वर

भयभीत फिरें कुल बन कायर

उठ जाग वीर, बन नर नाहर

संधानो अरि मस्तक पर  शर

मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....



बरस, मास, दिन, आठ पहर

जीवन व्यर्थ यदि जिया डरकर

भय त्याग, न अब तू और ठहर

पग बढ़ा अरे! संघर्ष पथ पर

मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....


कर विदा निशा संग रजनीचर

आगंतुक रवि की रश्मि प्रखर

स्फूर्त उमंगें उर में भरकर

राह पकड़ कोई नई डगर

मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....