डगर डगर तम नगर नगर
घर घर, दर दर आडम्बर
कर कृपाण अब धारण कर
युग रचो नया,
नव संवत्सर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
कुल काक कंठ, कुल कोकिल स्वर
भयभीत फिरें कुल बन कायर
उठ जाग वीर,
बन नर नाहर
संधानो अरि मस्तक पर शर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
बरस, मास, दिन,
आठ पहर
जीवन व्यर्थ
यदि जिया डरकर
भय त्याग,
न अब तू और
ठहर
पग बढ़ा अरे! संघर्ष पथ पर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
कर विदा निशा संग रजनीचर
आगंतुक रवि की
रश्मि प्रखर
स्फूर्त उमंगें उर में भरकर
राह पकड़ कोई नई डगर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
डगर डगर तम नगर नगर
घर घर, दर दर आडम्बर
कर कृपाण अब धारण कर
युग रचो नया,
नव संवत्सर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
कुल काक कंठ, कुल कोकिल स्वर
भयभीत फिरें कुल बन कायर
उठ जाग वीर,
बन नर नाहर
संधानो अरि मस्तक पर शर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
बरस, मास, दिन,
आठ पहर
जीवन व्यर्थ
यदि जिया डरकर
भय त्याग,
न अब तू और
ठहर
पग बढ़ा अरे! संघर्ष पथ पर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
कर विदा निशा संग रजनीचर
आगंतुक रवि की रश्मि प्रखर
स्फूर्त उमंगें उर में भरकर
राह पकड़ कोई नई डगर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
आगंतुक रवि की रश्मि प्रखर
स्फूर्त उमंगें उर में भरकर
राह पकड़ कोई नई डगर
मेरे प्रियवर ओ मेरे प्रियवर....
सुन्दर।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (30-09-2013) गुज़ारिश खाटू श्याम से :चर्चामंच 1399 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचना .. बधाई :)
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