मंगलवार, 10 जनवरी 2012

आपकी महफ़िल में पहुँचे.....


आपकी महफ़िल में पहुँचे हम ज़रा क्या देर से
ग़म नहीं जो मेरे हिस्से एक ख़ाली जाम आया...

मैंने सोचा बज़्म में कोई ऊँची बात कह दूँ
सोचा बहुत, दिल में मुसलसल बस तेरा ही नाम आया....

क़त्ल अरमां हो गए,आप ही के सामने
आप ही कहें, कैसे मेरा क़ातिलों में नाम आया...

यहाँ तक तो ठीक था,अफ़सोस तो ये है फ़क़त
मैयत का भी मेरे ज़िम्मे सारा इंतज़ाम आया

5 टिप्‍पणियां:

  1. गए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास
    सर पर आया भार, मरी प्यार की पास


    जय जय !

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    1. निर्दोष भाई ...पहले ई कमेन्ट वर्ड वेरिफिकेशन हटाइये .....बहुते दिक्कत होती है !

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    2. त्रिवेदी जी सदस्य सूची में शामिल होने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया... ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
      कमेन्ट वर्ड वैरिफिकेशन हटा दिया गया है.

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  2. Bahut badhia! kamal ki kavita!!
    Meri rachnaon par bi nazar daaliye!!
    http://navanidhiren.blogspot.in/search/label/Poem

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