कर कमल को हमारे 'कर-कमल' ने मरोड़ा है
तोड़ा किसी ने भी हो मगर दिल तो तोड़ा है
तप रहे हैं हम सुर्ख़ लाल फ़ौलाद से
क्या करें मगर उनके हाथ में हथौड़ा है
हिन्दू-मुस्लिम कभी वर्ग-ज़ात-भाषा के नाम पर
बंट गया मुल्क़,हमको कहीं का न छोड़ा है
हमने ख़ुद ही बना ली हैं अपनी अपनी सरहदें
यही कामयाबी उनकी औ अपनी राह का रोड़ा है
मुहौब्बत की राह पे, इल्म-ओ-अमन की बातें
रुख़ हवाओं का जहां में इन्हीं बातों ने मोड़ा है
जब भी आता है मस्त करके वार करता है
रहना होशियार, ये मौसम बड़ा निगोड़ा है
तोड़ा किसी ने भी हो मगर दिल तो तोड़ा है
तप रहे हैं हम सुर्ख़ लाल फ़ौलाद से
क्या करें मगर उनके हाथ में हथौड़ा है
हिन्दू-मुस्लिम कभी वर्ग-ज़ात-भाषा के नाम पर
बंट गया मुल्क़,हमको कहीं का न छोड़ा है
हमने ख़ुद ही बना ली हैं अपनी अपनी सरहदें
यही कामयाबी उनकी औ अपनी राह का रोड़ा है
मुहौब्बत की राह पे, इल्म-ओ-अमन की बातें
रुख़ हवाओं का जहां में इन्हीं बातों ने मोड़ा है
जब भी आता है मस्त करके वार करता है
रहना होशियार, ये मौसम बड़ा निगोड़ा है