शनिवार, 22 दिसंबर 2012

ये नशेमन....


ये नशेमन, नशे से गुलज़ार है
ये दुनिया नशे का बाज़ार है....

राम कौन हैं? रहीम रहते हैं कहाँ?
मज़हब तो बस यहाँ कारोबार है....

नफ़रतों से बिस्मिल हुआ जो दिल उसका
अब तो वो मुहौब्बतों से भी बे-दार है....

लिए फ़िरते हैं लोग सैलाब प्यार के दिल में
फ़िर भी ये दिल मुहौब्बत की तलाश में बे-ज़ार है....

सरक गई उम्र तमाम आँखों से उसकी
न जाने किसका उसे अब भी इंतज़ार है.....

पत्ते सब 'अना' के मेरी, झड़ गए इस पतझड़ में
ग़र दिल में कुछ है तो तेरी रहमत की बहार है.....

3 टिप्‍पणियां:

  1. सरक गई उम्र तमाम आँखों से उसकी
    न जाने किसका उसे अब भी इंतज़ार है.....
    WAAH KYA BAAT KAHI AAPANE
    USE KISAKA INTAZAR HAI HAM NAHIN JANATE
    HAMEN AAPAKE POST KA HAMESHA INTAZAR HOTA HAI.

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