दिल तोड़ नहीं देना
सोज़ के' सागर में
यूँ छोड़ नहीं देना
क्या शोख़ नज़ारे हैं
पूछ ज़रा दिल से
हम कौन तुम्हारे हैं
हर ओर उदासी है
बोल रहे हैं वो
ये बात ज़रा सी है
मासूम जवानी है
इश्क़ ख़ता कैसी
सबकी ये' कहानी है
ये रात सुहानी है
नींद हुई बैरन
जगते कट जानी है
हैं कौन यहाँ अपने
तोड़ गये सारे
आँखों में छिपे सपने
ये दर्द पुराना है
पर उनका अब भी
इस दिल में' ठिकाना है
उम्मीद भरे नैना
प्रीत लगी तुमसे
दिल तोड़ नहीं देना
ये प्यार नहीं करना
इश्क़ हुआ जब से
अब मुश्किल है जीना
ये क़ातिल हैं रातें
आग लगाती है
बे मौसम बरसातें
- निर्दोष दीक्षित
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (03-02-2015) को बेटियों को मुखर होना होगा; चर्चा मंच 1878 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का !!
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